विपरीत पस्थिति में सकारात्मक सोच है सफलता का मंत्र, दीप चैरिटेबल ट्रस्ट ने मनोविज्ञान पर जेसी गेस्ट हाउस में संगोष्ठी का आयोजन ...
रिपोर्ट, प्रशांत त्रिपाठी..
लखनऊ शनिवार 2 मार्च। सामाजिक संस्था दीप इंफोटेक् चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से शनिवार दो मार्च को निरालानगर के जेसी गेस्ट हाउस में मानसिक विकार और उसके निदान पर सारगर्भित परिचर्चा हुई। इसमें बताया गया कि व्यक्ति को पॉजिटिव सोच की कला सीखनी होगी। विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक प्रेरणा से व्यक्ति जल्द स्वस्थ हो सकता है। समारोह की मुख्य अतिथि पंचायती राज विभाग की एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पीसीएस स्वाति गुप्ता थी।
संस्था के सचिव दीप प्रकाश की अगुआई में यह आयोजन दो सत्रों में हुआ। पहले सत्र में एमिटी विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर और मनोवैज्ञानिक एवं प्रशिक्षक प्रो. (डॉ.) शिवाली ने (Rational Emotive Behavior Therapy-Ellis) रेशनल इमोटिव बिहेवियर थेरेपी एलिस अर्थात तर्कसंगत भावनात्मक व्यवहार थेरेपी पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि जीवन को एक अवसर की तरह देखना चाहिए। जब भी जीवन में दिक्कत या परेशानी आए तब अपने एक्शन्स को इस तरह लेकर चलना चाहिए कि हम पॉजिटिव और हेल्दी कार्य कर रहे हैं। हमे कभी हेल्थ कॉम्प्रोमाइजिंग निर्णय नहीं लेने चाहिए। हमें हमेशा हेल्थ प्रमोटिंग निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सक की सलाह लेना कहीं भी यह साबित नहीं करता कि व्यक्ति मानसिक रूप से पागल है। यह एक स्वाभाविक चिकित्सकीय परामर्श मात्र होता है। इसका आशय है कि मनोचिकित्सक “वे ऑफ लाइफ” में गुणात्मक सुधार ला सकता है।
दूसरे सत्र में आरसीआई पंजीकृत क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट एमिटी विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर अनामिका श्रीवास्तव ने Cognitive Therapy by Beck अर्थात बेक की कॉग्नेटिव थेरेपी पर व्याख्यान दिया। चिकित्सक को चाहिए कि वह अपने पेशेंट को यह पूरी तरह से विश्वास दिलाए कि उसके सभी राज सुरक्षित रहेंगे। इसके साथ ही उसे इतना यकीन दिलाए कि वह एंबेरेसिंग तथ्य भी आसानी से आपसे साझा कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि दवाओं के साथ किस तरह थेरेपी उपयोगी होती है। इसकी संयोजिका एमिटी विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नमिता श्रीवास्तव रही। उनका साथ स्टडी हॉल एजुकेशन फाउंडेशन की काउंसलर शालिनी त्रिपाठी ने दिया। इस अवसर पर जेसी फाउण्डेशन के प्रमुख अभिषेक अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित रहे।
http://dlvr.it/T3XY8K
रिपोर्ट, प्रशांत त्रिपाठी..
लखनऊ शनिवार 2 मार्च। सामाजिक संस्था दीप इंफोटेक् चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से शनिवार दो मार्च को निरालानगर के जेसी गेस्ट हाउस में मानसिक विकार और उसके निदान पर सारगर्भित परिचर्चा हुई। इसमें बताया गया कि व्यक्ति को पॉजिटिव सोच की कला सीखनी होगी। विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक प्रेरणा से व्यक्ति जल्द स्वस्थ हो सकता है। समारोह की मुख्य अतिथि पंचायती राज विभाग की एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पीसीएस स्वाति गुप्ता थी।
संस्था के सचिव दीप प्रकाश की अगुआई में यह आयोजन दो सत्रों में हुआ। पहले सत्र में एमिटी विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर और मनोवैज्ञानिक एवं प्रशिक्षक प्रो. (डॉ.) शिवाली ने (Rational Emotive Behavior Therapy-Ellis) रेशनल इमोटिव बिहेवियर थेरेपी एलिस अर्थात तर्कसंगत भावनात्मक व्यवहार थेरेपी पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि जीवन को एक अवसर की तरह देखना चाहिए। जब भी जीवन में दिक्कत या परेशानी आए तब अपने एक्शन्स को इस तरह लेकर चलना चाहिए कि हम पॉजिटिव और हेल्दी कार्य कर रहे हैं। हमे कभी हेल्थ कॉम्प्रोमाइजिंग निर्णय नहीं लेने चाहिए। हमें हमेशा हेल्थ प्रमोटिंग निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनोचिकित्सक की सलाह लेना कहीं भी यह साबित नहीं करता कि व्यक्ति मानसिक रूप से पागल है। यह एक स्वाभाविक चिकित्सकीय परामर्श मात्र होता है। इसका आशय है कि मनोचिकित्सक “वे ऑफ लाइफ” में गुणात्मक सुधार ला सकता है।
दूसरे सत्र में आरसीआई पंजीकृत क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट एमिटी विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर अनामिका श्रीवास्तव ने Cognitive Therapy by Beck अर्थात बेक की कॉग्नेटिव थेरेपी पर व्याख्यान दिया। चिकित्सक को चाहिए कि वह अपने पेशेंट को यह पूरी तरह से विश्वास दिलाए कि उसके सभी राज सुरक्षित रहेंगे। इसके साथ ही उसे इतना यकीन दिलाए कि वह एंबेरेसिंग तथ्य भी आसानी से आपसे साझा कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि दवाओं के साथ किस तरह थेरेपी उपयोगी होती है। इसकी संयोजिका एमिटी विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नमिता श्रीवास्तव रही। उनका साथ स्टडी हॉल एजुकेशन फाउंडेशन की काउंसलर शालिनी त्रिपाठी ने दिया। इस अवसर पर जेसी फाउण्डेशन के प्रमुख अभिषेक अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित रहे।
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