प्रयागराज की पावन धरा पर चल रही है श्रीराम कथा, मानस कोविद डॉ मदन मोहन मिश्र।
विनीत द्विवेदी, ब्यूरो प्रयागराज।
प्रयागराज, झूसी। प्रयागराज जिले के तहसील फूलपुर के ग्राम नीबी कला में चल रही श्रीराम कथा में बुधवार को व्यास पीठ से कथा वाचक डा0 मदनमोहन मिश्र ने उर्मिला और लक्ष्मण संवाद व कथा से सम्बंधित कई और प्रसंगों का वर्णन कर श्रोताओं का ध्यान ना भटकने पाए इसका कथा व्यास जी विशेष ध्यान रखते हैं जिसके लिए बीच-बीच में उदाहरण और चुहल करते हुए भक्तों को रिझाये रखने में निपुण है। व अपने वाचन से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कथा व्यास जी ने कहा कि राम कथा का आनंद तभी है, जब वक्ता और श्रोता दोनों सुर, लय, ताल मिलाकर कथा का रसपान करें।
डॉ मदन मिश्र ने कहा की गर्भस्थ शिशु को अच्छे संस्कार देने की शुरुआत गर्भ से ही हो जाती है, वही देश के कर्णधार होते हैं। भारतीय संस्कृति में कई तरह के रीति रिवाजों का पालन किया जाता है और गर्भावस्था के दौरान गर्भ संस्कार करने का बहुत महत्व है। गर्भ संस्कार में गर्भ का अर्थ गर्भस्थ शिशु और संस्कार का संबंध शिक्षित करने से है। लक्ष्मण और उर्मिला संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि, चौदह वर्ष के वनवास के लिए भाई राम और भाभी सीता के साथ जानेे के लिए लक्ष्मण व्याकुल हो गए। लेकिन उन्हें समझ नहीं आया कि पत्नी उर्मिला से वे क्या कहेंगे। लेकिन उर्मिला के कुछ शब्दों ने उन्हें निश्चिंत कर दिया। उर्मिला ने कहा की मैं आपकी अर्धांगिनी हूं। आपकी अनुपस्थिति में आपके समस्त कार्यों का दायित्व मेरा है। सच तो यह है कि पाहुन के वन जाने के बाद इस टूटे हुए कुल को सबसे अधिक आपकी आवश्यकता होगी, पर आप भी जा रहे हैं।
आप सब के जाने के बाद ना माण्डवी दाय अपराधबोध से मुक्त हो सकेंगी, न छोटे पाहुन स्वयं को क्षमा कर सकेंगे। छोटी माँ के हिस्से तिरस्कार आएगा और बड़ी मां मंझली मां के हिस्से लम्बी प्रतीक्षा की पीड़ा आएगी। कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी मनोज द्विवेदी के संरक्षण में चल रहा है। इस मौके पर समस्त ग्राम वासी व क्षेत्र वासियों की मौजूदगी से खचाखच पंडाल भर रहा।
http://dlvr.it/T0NnfC
विनीत द्विवेदी, ब्यूरो प्रयागराज।
प्रयागराज, झूसी। प्रयागराज जिले के तहसील फूलपुर के ग्राम नीबी कला में चल रही श्रीराम कथा में बुधवार को व्यास पीठ से कथा वाचक डा0 मदनमोहन मिश्र ने उर्मिला और लक्ष्मण संवाद व कथा से सम्बंधित कई और प्रसंगों का वर्णन कर श्रोताओं का ध्यान ना भटकने पाए इसका कथा व्यास जी विशेष ध्यान रखते हैं जिसके लिए बीच-बीच में उदाहरण और चुहल करते हुए भक्तों को रिझाये रखने में निपुण है। व अपने वाचन से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कथा व्यास जी ने कहा कि राम कथा का आनंद तभी है, जब वक्ता और श्रोता दोनों सुर, लय, ताल मिलाकर कथा का रसपान करें।
डॉ मदन मिश्र ने कहा की गर्भस्थ शिशु को अच्छे संस्कार देने की शुरुआत गर्भ से ही हो जाती है, वही देश के कर्णधार होते हैं। भारतीय संस्कृति में कई तरह के रीति रिवाजों का पालन किया जाता है और गर्भावस्था के दौरान गर्भ संस्कार करने का बहुत महत्व है। गर्भ संस्कार में गर्भ का अर्थ गर्भस्थ शिशु और संस्कार का संबंध शिक्षित करने से है। लक्ष्मण और उर्मिला संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि, चौदह वर्ष के वनवास के लिए भाई राम और भाभी सीता के साथ जानेे के लिए लक्ष्मण व्याकुल हो गए। लेकिन उन्हें समझ नहीं आया कि पत्नी उर्मिला से वे क्या कहेंगे। लेकिन उर्मिला के कुछ शब्दों ने उन्हें निश्चिंत कर दिया। उर्मिला ने कहा की मैं आपकी अर्धांगिनी हूं। आपकी अनुपस्थिति में आपके समस्त कार्यों का दायित्व मेरा है। सच तो यह है कि पाहुन के वन जाने के बाद इस टूटे हुए कुल को सबसे अधिक आपकी आवश्यकता होगी, पर आप भी जा रहे हैं।
आप सब के जाने के बाद ना माण्डवी दाय अपराधबोध से मुक्त हो सकेंगी, न छोटे पाहुन स्वयं को क्षमा कर सकेंगे। छोटी माँ के हिस्से तिरस्कार आएगा और बड़ी मां मंझली मां के हिस्से लम्बी प्रतीक्षा की पीड़ा आएगी। कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी मनोज द्विवेदी के संरक्षण में चल रहा है। इस मौके पर समस्त ग्राम वासी व क्षेत्र वासियों की मौजूदगी से खचाखच पंडाल भर रहा।
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