विनीत द्विवेदी, ब्यूरो प्रयागराज।
उन्नाव। समय बदल चुका अब सरकारी स्कूलों में आज बेहतर शिक्षा मिल रही है, लेकिन आज के कई साल पहले से उन्नाव के इस सरकारी स्कूल में बदलाव आ गया था, इसका श्रेय जाता है यहां की प्रधानाध्यापिका स्नेहिल पांडेय को, तभी उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। स्नेहिल पांडे मिशन शक्ति की पोस्टर वूमेन भी हैं। पूरे प्रदेश में सरकार ने इससे संबंधित पोस्टर भी जारी किया है, जिसमें छह ऐसी नारी शक्तियों की फोटो को आइकॉन के तौर पर दर्शाया गया है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों को किया है। इनमें से लखनऊ के सरोजनीनगर में रहने वाली स्नेहिल पांडेय भी शामिल हैं। और हाल ही में नीदरलैंड्स की यात्रा से भी लौटी हैं। यहां के बच्चे जनपद ही नहीं राज्य स्तर पर कबड्डी खेलने जाते हैं और जीतते भी हैं। स्नेहिल पांडेय बताती हैं कि, इस यात्रा में ऐसी छोटी-छोटी चीजें जुड़ती गईं और मुझे राष्ट्रीय स्तर तक ले गईं। उत्तर प्रदेश में एक शिक्षक को या ज्यादा से ज्यादा दो शिक्षकों को ये पुरस्कार दिया जाता है और उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और यहां का प्रतिनिधित्व करना बहुत अच्छा लगता है। बता दे कि, स्कूल में आनंददायी वातावरण में बच्चों का दक्षता संवर्धन है।
बच्चे खेल-खेल में आनंद की अनुभूति कर छोटे-बड़े समूह में काम करनें के नए कांसेप्ट को तैयार किया गया है और विद्यालय की खुद की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल के माध्यम से बच्चों को नई तकनीक से जोड़ा जाता है। कोरोनाकाल खण्ड में भी ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई को बाधित नहीं होने दिया, व अपने वेतन से वह बालिकाओं को साइकिल व आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी समय-समय पर देती रहती हैं। वह स्वयं के प्रयास से विद्यालय को हरा-भरा माहौल देने के लिये प्रयासरत रहती हैं विद्यालय परिसर में 300 से अधिक वृक्षारोपण किया जा चुका है स्नेहिल पांडे आज लड़कियों और महिलाओं की भी रोल मॉडल बन गई हैं।
http://dlvr.it/SxblJY
उन्नाव। समय बदल चुका अब सरकारी स्कूलों में आज बेहतर शिक्षा मिल रही है, लेकिन आज के कई साल पहले से उन्नाव के इस सरकारी स्कूल में बदलाव आ गया था, इसका श्रेय जाता है यहां की प्रधानाध्यापिका स्नेहिल पांडेय को, तभी उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। स्नेहिल पांडे मिशन शक्ति की पोस्टर वूमेन भी हैं। पूरे प्रदेश में सरकार ने इससे संबंधित पोस्टर भी जारी किया है, जिसमें छह ऐसी नारी शक्तियों की फोटो को आइकॉन के तौर पर दर्शाया गया है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों को किया है। इनमें से लखनऊ के सरोजनीनगर में रहने वाली स्नेहिल पांडेय भी शामिल हैं। और हाल ही में नीदरलैंड्स की यात्रा से भी लौटी हैं। यहां के बच्चे जनपद ही नहीं राज्य स्तर पर कबड्डी खेलने जाते हैं और जीतते भी हैं। स्नेहिल पांडेय बताती हैं कि, इस यात्रा में ऐसी छोटी-छोटी चीजें जुड़ती गईं और मुझे राष्ट्रीय स्तर तक ले गईं। उत्तर प्रदेश में एक शिक्षक को या ज्यादा से ज्यादा दो शिक्षकों को ये पुरस्कार दिया जाता है और उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है और यहां का प्रतिनिधित्व करना बहुत अच्छा लगता है। बता दे कि, स्कूल में आनंददायी वातावरण में बच्चों का दक्षता संवर्धन है।
बच्चे खेल-खेल में आनंद की अनुभूति कर छोटे-बड़े समूह में काम करनें के नए कांसेप्ट को तैयार किया गया है और विद्यालय की खुद की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल के माध्यम से बच्चों को नई तकनीक से जोड़ा जाता है। कोरोनाकाल खण्ड में भी ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई को बाधित नहीं होने दिया, व अपने वेतन से वह बालिकाओं को साइकिल व आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी समय-समय पर देती रहती हैं। वह स्वयं के प्रयास से विद्यालय को हरा-भरा माहौल देने के लिये प्रयासरत रहती हैं विद्यालय परिसर में 300 से अधिक वृक्षारोपण किया जा चुका है स्नेहिल पांडे आज लड़कियों और महिलाओं की भी रोल मॉडल बन गई हैं।
http://dlvr.it/SxblJY
إرسال تعليق