डलमऊ- रायबरेली: वनविभाग के भ्रस्ट अधिकारी और
वनरक्षकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया गया है, जिसमें
उन्हें वृक्ष संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षित रखने के नाम पर कई प्रकार के अवैध
कामों में शामिल होने का आरोप है। इस मामले में वन दरोगा शरद बाजपेई को वन
माफियाओं के साथ मिलकर वृक्षों को कटवाने और वन क्षेत्र में निर्वाचित पेड़ों को
नष्ट करने के आरोप में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है।
वनविभाग
के अधिकारियों को वृक्षों को धराशायी करने की कीमत अदा करने के उपरांत आपको
हरियाली पर आरा चलाने की पूरी छूट मिल जाती है, लेकिन
किसानों और सामान्य नागरिकों के लिए यह सिर्फ एक शरारत हो जाती है।
वर्तमान
में वनविभाग में तैनात वनरक्षक दरोगा शरद बाजपेई के खिलाफ आरोप लगाया जा रहा है कि
उन्होंने अपने पूरे सामर्थ्य का उपयोग अवैध कटान और उससे होने वाली आय पर केंद्रित
कर बैठे हैं। उन्होंने सागौन, राष्ट्रीय
पेड़ छूल, गूलर, जैसे
पेड़ों को निशाना बनाया है,
और वन माफियाओं द्वारा इन पेड़ों के अवैध कटान
की अनुमति दी है।
वनविभाग
के अधिकारियों के खिलाफ ये गंभीर आरोप हैं और मामले की जांच की जाएगी। वन
क्षेत्राधिकारी हरिओम श्रीवास्तव ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं लेता जाएगा
और इस प्रकरण पर जांच की जाएगी।
इस
मामले में स्थानीय प्राधिकृतिक अधिकारियों और न्यायिक प्राधिकृतिकों के बीच जांच
की जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
सामाजिक
न्याय और वन संरक्षण के प्रति समाज की जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए यह मामला
महत्वपूर्ण है और उसे गंभीरता से देखा जाना चाहिए।
http://dlvr.it/SwpyT2
वनरक्षकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाया गया है, जिसमें
उन्हें वृक्ष संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षित रखने के नाम पर कई प्रकार के अवैध
कामों में शामिल होने का आरोप है। इस मामले में वन दरोगा शरद बाजपेई को वन
माफियाओं के साथ मिलकर वृक्षों को कटवाने और वन क्षेत्र में निर्वाचित पेड़ों को
नष्ट करने के आरोप में शामिल होने का आरोप लगाया जा रहा है।
वनविभाग
के अधिकारियों को वृक्षों को धराशायी करने की कीमत अदा करने के उपरांत आपको
हरियाली पर आरा चलाने की पूरी छूट मिल जाती है, लेकिन
किसानों और सामान्य नागरिकों के लिए यह सिर्फ एक शरारत हो जाती है।
वर्तमान
में वनविभाग में तैनात वनरक्षक दरोगा शरद बाजपेई के खिलाफ आरोप लगाया जा रहा है कि
उन्होंने अपने पूरे सामर्थ्य का उपयोग अवैध कटान और उससे होने वाली आय पर केंद्रित
कर बैठे हैं। उन्होंने सागौन, राष्ट्रीय
पेड़ छूल, गूलर, जैसे
पेड़ों को निशाना बनाया है,
और वन माफियाओं द्वारा इन पेड़ों के अवैध कटान
की अनुमति दी है।
वनविभाग
के अधिकारियों के खिलाफ ये गंभीर आरोप हैं और मामले की जांच की जाएगी। वन
क्षेत्राधिकारी हरिओम श्रीवास्तव ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं लेता जाएगा
और इस प्रकरण पर जांच की जाएगी।
इस
मामले में स्थानीय प्राधिकृतिक अधिकारियों और न्यायिक प्राधिकृतिकों के बीच जांच
की जाएगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
सामाजिक
न्याय और वन संरक्षण के प्रति समाज की जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए यह मामला
महत्वपूर्ण है और उसे गंभीरता से देखा जाना चाहिए।
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