रिपोर्ट। अनिल शर्मा
शमशाबाद में गंगा तट पर हो रहे मांघ के मेले में प्रधान और प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण आत्मनिर्भर साधु संत अपने तंत्रों का आलंब बना रहे हैं। यहां आने वाले लोगों ने आपत्तिजनक गतिविधियों की शिकायत की है, जिसमें पैसे की मांग और अनैतिक व्यवहार की घटनाएं शामिल हैं।
मेले में साधु संतों ने बताया कि उन्हें प्रधान और प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है और व्यवस्था की कमी के चलते वे कई दिनों से खुद को संभाल रहे हैं। इसके अलावा, रामनगरिया में रहने वाले लोगों ने भी पैसों की मांग की है और प्रधान के ठेकेदार द्वारा गुर्दे के लिए पैसों की मांग का सामना कर रहे हैं।
इसके अलावा, गंगा घाट पर विरोध करने वालों को गाली गलौज का सामना करना पड़ा है और मेले में व्यवस्था की अभाव से सड़कें भी नहीं बन रही हैं। इस बारहमासी में नाबालिक बच्चों से कड़ाके के ठंड में बलि वंश की बातें भी सामने आई हैं, जो स्थानीय लोगों को चिंतित कर रही हैं।
इस विवादों भरे मांघ के मेले में प्रशासन को तत्परता और व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि लोग खुशहाली के साथ मेला मना सकें।
http://dlvr.it/T1NkSG
शमशाबाद में गंगा तट पर हो रहे मांघ के मेले में प्रधान और प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण आत्मनिर्भर साधु संत अपने तंत्रों का आलंब बना रहे हैं। यहां आने वाले लोगों ने आपत्तिजनक गतिविधियों की शिकायत की है, जिसमें पैसे की मांग और अनैतिक व्यवहार की घटनाएं शामिल हैं।
मेले में साधु संतों ने बताया कि उन्हें प्रधान और प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है और व्यवस्था की कमी के चलते वे कई दिनों से खुद को संभाल रहे हैं। इसके अलावा, रामनगरिया में रहने वाले लोगों ने भी पैसों की मांग की है और प्रधान के ठेकेदार द्वारा गुर्दे के लिए पैसों की मांग का सामना कर रहे हैं।
इसके अलावा, गंगा घाट पर विरोध करने वालों को गाली गलौज का सामना करना पड़ा है और मेले में व्यवस्था की अभाव से सड़कें भी नहीं बन रही हैं। इस बारहमासी में नाबालिक बच्चों से कड़ाके के ठंड में बलि वंश की बातें भी सामने आई हैं, जो स्थानीय लोगों को चिंतित कर रही हैं।
इस विवादों भरे मांघ के मेले में प्रशासन को तत्परता और व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि लोग खुशहाली के साथ मेला मना सकें।
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