Prayagraj News: उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन।

विनीत द्विवेदी, ब्यूरो प्रयागराज।
प्रयागराज। महाकवि कुंवर चंद्रप्रकाश सिंह की काव्य-भाषा, काव्य शिल्प एवं भाव भूमि विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के अटल सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। मंचासीन अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम भेंट कर किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया शशि प्रकाश सिंह ने वाचिक स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर सीमा सिंह ने कहा कि कवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह बाल्यावस्था से ही प्रतिभा संपन्न रहे, महाप्राण निराला के सम्पर्क उनकी काव्य प्रतिभा का तीव्रता से विकास हुआ। जिसने इन्हे छायावाद के कवियों में महत्वपूर्ण बना दिया। उन्होने कहा कि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह उच्च कोटि के छायावादी कवि एवं नाटककार हैं । उन्होंने उनकी काव्य रचना 'शुभे शारदे - जय जय'। 'जय शस्य-श्यामा', को छायावाद की अद्भुत झलक बताया और विश्वविद्यालय के आचार्यों को कुंवर साहब के साहित्य को आम जनमानस तक पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करने की प्रेरणा दी। विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या डॉo शिव मोहन सिंह ने कहा की आचार्य कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह हिंदी कविता के वह कवि है। जिसे अभी तक मांपा नहीं जा सका, यदि निराला गीतों के माध्यम से छायावाद के प्रवर्तक कवि हैं तो महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश छायावाद के उन्नायक तथा राजराजेश्वर हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माननीय न्यायमूर्ति रणविजय सिंह ने कहा कि कुंवर चंद्र प्रकाश उच्च कोटि के साहित्य साधक एवं छायावाद के प्रतिनिधि कवि थे। संगोष्ठी विशिष्ट अतिथि, पूर्व कुलपति, अवध विश्वविद्यालय।




इस अवसर पर डॉ. सत्यपाल तिवारी, निदेशक मानविकी विद्या शाखा उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाकवि चंद्रप्रकाश जी छायावाद के उन्नायक कवि हैं। उनके अधिकांश गीत निराला जी के साथ 'सुधा' और 'माधुरी' जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे, जो पूर्ण रूप से छायावादी भाव-भूमि की रचनाएं हैं। महाकवि निराला से मिलने के पूर्व कुंवर जी ने मातृ -भाषा, मातृ-भूमि, तथा मातृ- संस्कृति के जिन गीतों की रचना की थी वे गीत उनकी प्रथम काव्य कृति 'शंपा ' में संकलित हैं। वक्ताओं में डॉ. अतुल भाई कोठरी राष्ट्रीय सचिव, डॉ. सुधाकर सिंह, पूर्व अचार्य, हिंदी विभाग बीएचयू, डॉ.राम कठिन सिंह, कुमार चंद्र प्रकाश सिंह के ज्येष्ठ पुत्र डॉ रवि प्रकाश सिंह आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए। संगोष्ठी के मीडिया प्रभारी डॉ. आशुतोष कुमार वर्मा विशेष रूप से उपस्थिति रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.गजेंद्र सिंह भदौरिया ने किया। इस अवसर पर आचार्यगण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।


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