विनीत द्विवेदी, ब्यूरो प्रयागराज।
प्रयागराज। महाकुंभ मेला सड़क चौड़ीकरण योजना के तहत विद्युत पोलो को शिफ्ट किए बगैर सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। जिसका आगे चलकर घातक परिणाम हो सकता है। सड़क निर्माण से पहले सड़क के बीच में लगे बिजली के खंभों को हटाना चाहिए। लेकिन बिजली के खंभों को हटाए बगैर सड़क बनाई जा रही है। जिससे सड़क की गुणवत्ता तो प्रभावित होगी ही, आगे चलकर और भी कई गंभीर समस्याएं सामने आ सकती है। महाकुंभ मेला परियोजना के तहत गंगापार क्षेत्र में आवागमन सुविधा बनाए रखने के लिए झूंसी,ककरा, लीलापुर संपर्क मार्ग चौड़ीकरण सड़क निर्माण में मानको के विपरीत मनमाने तरीके से काम कराया जा रहा है। जिससे सड़क की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। अधिकारियों के लापरवाही और ठेकेदार की मनमानी के चलते सरकारी धन के दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ गई है जिससे महाकुंभ मेले की सफलता पर सवालिया निशान लग सकता है।
जहाँ, करोड़ों रुपए की लागत से आगामी महाकुंभ 2025 की तैयारीयों के क्रम मे सड़कों का चौड़ीकरण प्रयागराज मे विकास स्मार्ट सिटी की तर्ज पर सरकार की प्राथमिकता मे शामिल है, प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुंभ के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने लगभग 2500 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। जिससे प्रयागराज का चहुँमुखी विकास किया जाना है। महाकुंभ मेला 2025 के चौड़ीकरण योजना में शीर्ष प्राथमिकता के मार्ग पर लगे विद्युत पोलों के शिफ्टिंग का कार्य किया जाना था, उसके बाद सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य शुरू किया जाना था। लेकिन यहां तो उलटी गंगा बह रही है। सड़को का चौड़ीकरण कार्य तो शुरू हो गया लेकिन बिजली के खम्भे अपनी जगह पर बने हुए हैं। सड़क सुरक्षा के नियमों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है जिसके परिणाम भयंकर हो सकते हैं कोई भी अनचाही दुर्घटना घटित हो सकती है किसी भी समय। वैसे तो शहर में कई जगह सड़कों पर काम चल रहा है।
बता दें कि यह मामला झूसी, ककरा, लीलापुर संपर्क मार्ग के चौड़ीकरण कार्य से जुड़ा हुआ है। जिस मार्ग पर जनता के प्रतिनिधियों का भी आना-जाना बना ही रहता है, जिसमें स्थानीय विधायक, ब्लॉक प्रमुख से लेकर पूर्व जिलाअध्यक्ष, कई गावों के प्रधानों का रोज का रास्ता है, जिस रास्ते पर सायरन बजाते हुए फर्राटेदार दिन- रात इसी रास्ते पर गाड़ियों का काफिला दौड़ते हैं, जिसमें एंबुलेंस तक का गुजरना रहता है। इसी रास्ते से होकर झूसी स्थित कई स्कूल वाहनों को भी देखा जा सकता है। कई छात्र-छात्राएं तो साइकिल व पैदल भी जाते हैं इस धूल भरे मार्ग से होकर। लेकिन किसी जनता के प्रतिनिधि का इस ओर अब तक ध्यान नहीं गया कि सड़क पर गिट्टी रखी फैला कर रखी हुई है। और सड़के धूल से भरी हैं जिस पर पानी का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा है। इसका ध्यान तो सड़क निर्माता को ही करना पड़ेगा या किसी अन्य को, लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि जब विद्युत के पोलों को शिफ्ट नहीं किया गया तो, ऐसी आपाधापी में यह कार्य क्यों शुरू हुआ? व किसी भी आकस्मिक दुर्घटना की जिम्मेदारी किसकी होगी? और सड़क बनने के बाद यदि खंबे उखाड़े जाएंगे तो फिर सड़क गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी होगी यह कौन तय करेगा। बिजली विभाग या सड़क निर्माता क्योंकि जब खंबे उखड़ेंगे तो वहां गड्ढे भी होंगे। फिर उसमें मिटटी भरी जाएगी या गिट्टी, जो बरसात के पानी से अंदर चली जाएगी और फिर वहां गड्ढा ही रहेगा। यही कार्य यदि पोल शिफ्ट होने के बाद किया जाता तो सड़क की गुणवत्ता और सुंदरता दोनों कायम रहती। जब सरकार इतना बजट खर्च करके सड़क बनवा रही है। और उसका सुंदरीकरण भी हो रहा कार्य भी हो रहा हैं, तो इसमें इतनी घोर लापरवाही कैसे बर्दाश्त की जा सकती है।
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प्रयागराज। महाकुंभ मेला सड़क चौड़ीकरण योजना के तहत विद्युत पोलो को शिफ्ट किए बगैर सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। जिसका आगे चलकर घातक परिणाम हो सकता है। सड़क निर्माण से पहले सड़क के बीच में लगे बिजली के खंभों को हटाना चाहिए। लेकिन बिजली के खंभों को हटाए बगैर सड़क बनाई जा रही है। जिससे सड़क की गुणवत्ता तो प्रभावित होगी ही, आगे चलकर और भी कई गंभीर समस्याएं सामने आ सकती है। महाकुंभ मेला परियोजना के तहत गंगापार क्षेत्र में आवागमन सुविधा बनाए रखने के लिए झूंसी,ककरा, लीलापुर संपर्क मार्ग चौड़ीकरण सड़क निर्माण में मानको के विपरीत मनमाने तरीके से काम कराया जा रहा है। जिससे सड़क की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। अधिकारियों के लापरवाही और ठेकेदार की मनमानी के चलते सरकारी धन के दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ गई है जिससे महाकुंभ मेले की सफलता पर सवालिया निशान लग सकता है।
जहाँ, करोड़ों रुपए की लागत से आगामी महाकुंभ 2025 की तैयारीयों के क्रम मे सड़कों का चौड़ीकरण प्रयागराज मे विकास स्मार्ट सिटी की तर्ज पर सरकार की प्राथमिकता मे शामिल है, प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुंभ के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने लगभग 2500 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। जिससे प्रयागराज का चहुँमुखी विकास किया जाना है। महाकुंभ मेला 2025 के चौड़ीकरण योजना में शीर्ष प्राथमिकता के मार्ग पर लगे विद्युत पोलों के शिफ्टिंग का कार्य किया जाना था, उसके बाद सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य शुरू किया जाना था। लेकिन यहां तो उलटी गंगा बह रही है। सड़को का चौड़ीकरण कार्य तो शुरू हो गया लेकिन बिजली के खम्भे अपनी जगह पर बने हुए हैं। सड़क सुरक्षा के नियमों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है जिसके परिणाम भयंकर हो सकते हैं कोई भी अनचाही दुर्घटना घटित हो सकती है किसी भी समय। वैसे तो शहर में कई जगह सड़कों पर काम चल रहा है।
बता दें कि यह मामला झूसी, ककरा, लीलापुर संपर्क मार्ग के चौड़ीकरण कार्य से जुड़ा हुआ है। जिस मार्ग पर जनता के प्रतिनिधियों का भी आना-जाना बना ही रहता है, जिसमें स्थानीय विधायक, ब्लॉक प्रमुख से लेकर पूर्व जिलाअध्यक्ष, कई गावों के प्रधानों का रोज का रास्ता है, जिस रास्ते पर सायरन बजाते हुए फर्राटेदार दिन- रात इसी रास्ते पर गाड़ियों का काफिला दौड़ते हैं, जिसमें एंबुलेंस तक का गुजरना रहता है। इसी रास्ते से होकर झूसी स्थित कई स्कूल वाहनों को भी देखा जा सकता है। कई छात्र-छात्राएं तो साइकिल व पैदल भी जाते हैं इस धूल भरे मार्ग से होकर। लेकिन किसी जनता के प्रतिनिधि का इस ओर अब तक ध्यान नहीं गया कि सड़क पर गिट्टी रखी फैला कर रखी हुई है। और सड़के धूल से भरी हैं जिस पर पानी का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा है। इसका ध्यान तो सड़क निर्माता को ही करना पड़ेगा या किसी अन्य को, लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि जब विद्युत के पोलों को शिफ्ट नहीं किया गया तो, ऐसी आपाधापी में यह कार्य क्यों शुरू हुआ? व किसी भी आकस्मिक दुर्घटना की जिम्मेदारी किसकी होगी? और सड़क बनने के बाद यदि खंबे उखाड़े जाएंगे तो फिर सड़क गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी होगी यह कौन तय करेगा। बिजली विभाग या सड़क निर्माता क्योंकि जब खंबे उखड़ेंगे तो वहां गड्ढे भी होंगे। फिर उसमें मिटटी भरी जाएगी या गिट्टी, जो बरसात के पानी से अंदर चली जाएगी और फिर वहां गड्ढा ही रहेगा। यही कार्य यदि पोल शिफ्ट होने के बाद किया जाता तो सड़क की गुणवत्ता और सुंदरता दोनों कायम रहती। जब सरकार इतना बजट खर्च करके सड़क बनवा रही है। और उसका सुंदरीकरण भी हो रहा कार्य भी हो रहा हैं, तो इसमें इतनी घोर लापरवाही कैसे बर्दाश्त की जा सकती है।
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